निज भाषा जो स्वाभिमान को, आम आदमी की जुबान को ; मानव गरिमा के विहान को, अर्थ दे रही संविधान को ।
हिंदी आज चाहती हमसे, हम सब निष्छल अंतराल से ; सहज विनम्र अथक यत्नों से, मांगें न्याय आज से कल से ।।
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राजभाषा विभाग/गृह मंत्रालय/भारत सरकार की वेबसाइट के सौजन्य से (साभार)
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